बेटियों ने तोड़ी पुरानी परंपरा बेटे की जगह दिया पिता की अर्थी को कंधा


समाज में लड़को और लड़कियों को लेकर कई नियम बनाए गए है यह कार्य केवल पुरुष ही करेंगे और यह कार्य केवल महिलाएं ही करेंगी लेकिन अयोध्या से एक समाज की परम्पराओं को तोड़ते हुए बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को न केवल कंधा दिया बल्कि मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार भी किया बेटियों ने यह फ़र्ज़ निभाते हुए सन्देश दिया की बेटा-बेटी सामान है|

बेटा-बेटी सामान है

उत्तर प्रदेश के अयोध्या के मिल्कीपुर तहसील क्षेत्र अंतर्गत मरुई गनेशपुर में रहने वाले अवध राज तिवारी (52) की कैंसर के चलते मृ**त्यु हो गयी उनके परिवार में उनकी तीन बेटियां ही थी| घर में कोई बेटा न होने के कारण अवध राज की तीनों बेटियों ने ही उनकीअर्थी को श्मशान तक कंधा दिया और उनको मुखाग्नि भी दी| रुंधे गले, बहते आंसुओ के बीच समाज की भ्रांतियों और बेड़ियों को तोड़ते हुए बेटियों ने साबित कर दिया बेटा और बेटी एक सामान है|

बेटियों ने पिता की अर्थी को दिया कंधा

बता दे की, अवध राज का पिछले 10 महीने से मुंबई के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल से इलाज चल रहा था| अवध राज की पत्नी की पहले ही मौत हो चुकी है| जबकि उनकी 2 बेटियों की शादी हो चुकी है, बड़ी बेटी बिंदु का विवाह कुमारगंज थाना क्षेत्र के द्विवेदीनगर गोयड़ी निवासी अरुण द्विवेदी के साथ हुई है तो वही दूसरी बेटी रेनू की शादी कुमारगंज के तेन्धा गांव निवासी देवानंद के साथ हुई है।एक सबसे छोटी बेटी रोली ग्रेजुएशन की छात्र है|

तोड़ी समाज की प्रथा

हिन्दू रीती-रिवाज़ के अनुसार बेटियां और महिलाएं श्मशान में नहीं जाती है| मान्यता यह भी है की परिवार में बेटा न होने पर भी बेटियां पिता की अर्थी को कंधा या मुखाग्नि नहीं दे सकती है| लेकिन अवध राज की बेटियों ने समाज के इस रीती रिवाज़ को तोडा और अपने पिता की अर्थी को कंधा भी दिया और साथ ही मुखाग्नि भी दी| इस दौरान सही की आंखे नम हो गयी थी|

राजस्थान में भी बेटियों ने तोड़ी प्रथा

यह पहली घटना नहीं है जब बेटियों ने पिता की अ**र्थी को कंधा दिया हो| जनवरी 2020 में राजस्थान के झुंझुनूं  जिले के सहड़ का बास गांव में पांच बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया था| बड़ी बेटी ने पिता की चिता को मुखाग्नि दी| गांव के नागरमल हवलदार का मंगलवार को निधन हो गया था और उनका कोई पुत्र नहीं है बल्कि पांच बेटियां थी| पांचों बेटियां गांव के लोगों के साथ पिता की शव यात्रा में शामिल होकर श्मशान घाट पहुंचीं और अंतिम संस्कार की सारी परंपराओं का निर्वहन किया|