भारत देश अपने यहाँ की संस्कृति व् मंदिरो की वजह से जाना जाता है। यहाँ माता व् भगवन के कई मंदिर उपलभ्ध है जहाँ लोग विदेशो से दर्शन करने के लिए आते रहते है। हमारे देश में माता को सबसे ऊपर का दर्जा दिया जाता है। जिनका पूजन करना बहुत शुभ फलदायी मानते हैं. इन स्वरूपों में संतोषी माता का स्वरूप उनके नाम के अनुरूप मन को शांत करने वाला और संतोष देने वाला माना जाता है. मान्यता ये भी है कि जो भी संतोषी माता का व्रत करता है और उनका विधि-विधान से पूजन करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. आइये जानिए इन मंदिरो के बारे में।
हमारे देश में संतोषी माता के कई मंदिर है जहाँ भक्तो को भीड़ जमा रहती है।ये मंदिर सर्वाधिक महिमामयी माना जाता है. भक्तों का विश्वास है कि जोधपुर में स्थित इस मंदिर में माता साक्षात निवास करती हैं. मंदिर की वास्तुकला कुछ ऐसी है कि गर्भगृह की चट्टानें शेषनाग के आकार की नजर आती हैं, जिनकी छाया में माता विराजित हैं. मंदिर के बाहर भी प्राकृतिक छटा बिखरी हुई है. पहाड़ों के बीच लाल सागर स्थित है. पास ही एक अमृत कुंड बना है जिस पर वट वृक्ष की छाया पड़ती है. इसी कुंड के पास से झरना भी बहता है. माता के दर्शन कर भक्त मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करते हैं और फिर प्रकृति के इस सुंदर वातावरण में चित्त को शांत भी करते हैं.
दिल्ली का सबसे मशहूर संतोषी माता का मंदिर सौ साल से भी पुराना बताया जाता है. इस मंदिर में साल की दोनों नवरात्रि के मौके पर भक्तों का मेला लगता है. मंदिर में विराजित माता की अष्टधातु की मूर्ति के समक्ष अखंड ज्योत जलती है. जो भक्त मुरादें लेकर आते हैं वो हर मन्नत के नाम की चुनर मंदिर प्रांगण में स्थित पीपल के पेड़ पर बांधते हैं. जब मनोकामना पूरी होती है तब वो चुनर खोल दी जाती है. एक और खास बात ये है कि माता का श्रृंगार सिर्फ ताजे फूलों से होता है.
उत्तर प्रदेश में स्थित फर्रुखाबाद में भी संतोषी माता का मंदिर स्थित है जहां हर वर्ष नवरात्र पर खास पूजन, हवन, कीर्तन होता है और भक्तों का मेला सजता है. यहां मां ब्रह्मचारिणी का मंदिर भी है. मंगलवार और शुक्रवार यहां भक्त मंगल गीत गाते हैं और माता का पूजन करते हैं.यहाँ कहा जाता है माता के पार्षद से ही बीमार व्यक्ति ठीक होने लगता है।