भारत की ये नदी उगलती है ढेरो सारा सोना, आजतक कोई नहीं सुलझा पाया इसकी गुत्थी।


भारत जैसे घनी आबादी वाले देश में कई नदिया है जिनका अपना-अपना रहस्य है। हर नदी की कहानी आश्चर्यचकित करने वाली होती है अगर सबके बारे में पढ़ने बेथ गए तो सालो साल लग जाएंगे। लेकिन आज हम आपको जिस नदी के बारे में बताने जा रहे है जिसमें सदियों से पानी के साथ सोना भी बहता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि सैकड़ों सालों बाद भी वैज्ञानिकों को यह पता नहीं चल पाया है कि इस नदी में सोना  क्यों बहता है. यानी इस नदी का सोना वैज्ञानिकों के लिए अभी भी रहस्य है.आइये जानिए इसके बारे में आखिर ऐसा क्यों होता है।

दरअसल जिस नदी की हम बात कर रहे है वह झारखंड राज्य में बहती है. नदी में पानी के साथ सोना बहने की वजह से इसे स्वर्णरेखा नदी के नाम से जाना जाता है. इसे सोने की नदी भी कहा जाता है. झारखंड में कुछ ऐसी जगहें हैं, जहां स्थानीय आदिवासी इस नदी में सुबह जाते हैं और दिन भर रेत छानकर सोने के कण इकट्ठा करते हैं. इस काम में उनकी कई पीढ़ियां लगी हुई हैं. तमाड़ और सारंडा जैसे इलाके ऐसे हैं जहां पुरुष, महिलाएं और बच्चे सुबह उठकर नदी से सोना इकट्ठा करने जाते हैं.

दरअसल कई लोग समझते है की नदी से सोना इकठ्ठा करना आसान होता होगा फिर वह कितने अमीर बन गए होंगे तो आपको बता दे ऐसा कुछ नहीं है ये बेहद मेहनती काम है। नदी की रेत से सोना इकट्ठा करने के लिए लोगों को दिनभर मेहनत करनी पड़ती है. आदिवासी परिवार के लोग दिनभर पानी में सोने के कण ढूंढने का काम करते हैं. दिनभर काम करने के बाद आमतौर पर एक व्यक्ति एक या दो सोने के कण ही निकाल पाता है. कई बार तो दिनभर मेहनत करने के बाद एक भी कण नहीं मिलता है.

जानकारी के लिए बता दे औसतन एक व्यक्ति महीनेभर में 60 से 80 सोने के कण ही निकाल पाता है. कई बार तो महीने में 30 सोने के कण निकालना भी मुश्किल हो जाता है. ये कण चावल के दाने के बराबर या उससे छोटे भी होते हैं. वह एक कण को बेचकर 80 से 100 रुपए कमाते हैं. इस तरह सोने के कण बेचकर एक शख्स औसतन महीने में 5 से 8 हजार रुपये ही कमाता है. हालांकि बाजार में एक कण की कीमत कई बार 300 रुपये या उससे ज्यादा होती है.

इस नदी में सोना कहां से आता है? इस बात को लेकर भू-वैज्ञानिकों का मत है कि नदी तमाम चट्टानों से होकर गुजरती है. इन चट्टानों में मिलने वाले सोने के टुकड़े घर्षण की वजह टूटकर इसमें मिल जाते हैं. इसके बाद यह नदी के सहारे बहते हुए आगे चले आते हैं. यह नदी झारखंड से निकलकर पश्चिम बंगाल तथा ओडिशा के कुछ इलाकों में भी बहती है.इस नदी के बारे में पढ़कर कई लोग इसे देखने के लिए यहाँ आते है और सोचते है की हमे भी कुछ सोने के कण मिल जाए लेकिन ये इतना आसान नहीं होता।