पुराने समय से नदी में सिक्के फेकने की परंपरा चली आ रही है। वर्तमान में यह परंपरा कितनी उपयोगी है? क्या फायदा होता है ? किसी के पास जबाब नहीं, हां लेकिन आते जाते नदी के पुल से 1 सिक्का जरूर फेंकते जाएंगे । दुनियाभर की नजरों में भारत को गरीब देश कहा गया । उन्हें क्या पता यही गरीब आदमी जितनी बार नदी के पास से गुजरता है अपनी हैसियत के मुताबिक एक, दो, पांच और दस रुपये का सिक्का नदी को माता समझ के फेंकता जाता है लेकिन ये ना केवल एक परंपरा है बल्कि इसके पीछे है एक अद्भुत वैज्ञानिक कारण आइए जानते है…
वैज्ञानिक कारण
प्राचीन काल में सिक्के चांदी और तांबे के बने होते थे। इस धातु में कीटाणुओं को मारने की क्षमता होती है। नदी में सिक्के डालने की परंपरा अस्तित्व में आई क्योंकि पहले लोग सीधे नदी से पानी खींचते थे। ताकि पानी को कीटाणुरहित किया जा सके।
आदमी अगर एक सिक्का भी फेंकता है, तो कई सिक्के नदी में गिर जाते हैं और पानी साफ हो जाता है। इस प्रकार इससे समाज को लाभ हुआ और इसे पुण्य का कार्य माना जाने लगा।
ज्योतिष विज्ञान में है ये बाते
ज्योतिष में भी कहा गया है कि लोगों को अगर किसी तरह का दोष दूर करना हो तो उसके लिए वो जल में सिक्के और कुछ पूजा की सामग्री को प्रवाहित करे। इसके साथ ही ज्योतिष में ये भी कहा गया है कि अगर बहते पानी में चांदी का सिक्का डाला जाए तो उससे दोष खत्म होता है।
इस प्रकार के सिक्को से नहीं होता कोई फायदा
लेकिन हां नदी में स्टील के सिक्के फेंकने से कोई फायदा नहीं होता है। लेकिन फिर भी लोग इसे एक परंपरा की तरह निभा रहे हैं।