दुनियाभर में वैसे तो कई ऐसे कपल है जो एक दूसरे के प्यार में जान तक दे देते है और ऐसे कई मामले दुनिया भर से सामने आते रहते है। कई बार अपने देखा होगा लोग प्यार में एक दूसरे के लिए कई ऐसे कदम उठा लेते है जो बेहद ख*रन*क होते है और उनकी ज़िन्दगी दाव पर लग जाती है लेकिन कहते ह न प्यार और जंग में सब जाहिर है बस व्ही बात यहाँ लोग प्यार में इतने पागल होजाते है उन्हें कुछ समझ नहीं आता। लेकिन कई बार यही प्यार इम्तिहान भी लेता है और कई लोग इसमें सफल भी होजाते है जैसे एक मामला सामने आया जिसने अपने प्यार की मिसाल पेश की आइये जानिए पूरा मामला।
दरअसल इस डॉक्टर की पत्नी इतनी बीमार थी की उसे सही से इलाज नहीं मिला तो वह अपनी जान भी गँवा सकती थी लेकिन इस डॉक्टर ने अपने प्यार की मिसाल पेश कर अपनी पत्नी को बचा लिया। डॉक्टर सुरेश चौधरी ने कोरोना के कारण बीमार हुई पत्नी के इलाज के लिए ना केवल अपनी डिग्री गिरवी रख दी बल्कि सबकुछ दांव पर लगा दिया. देखभाल पर सवा करोड़ रुपये खर्च कर अपने प्यार को बचा लिया. आज इस कपल की हर तरफ चर्चा है.
दरअसल ये मामला सुरेश चौधरी (32) पाली जिले के खैरवा गांव के रहने वाले का हैं. सुरेश अपनी पत्नी व् पांच साल के बच्चे के साथ अपने गांव में ही रहते थे। पिछले साल मई में जब कोरोना की दूसरी लहर चरम पर थी उसी दौरान अनिता को बुखार आ गया. जांच करवाई तो पता चला कि वे कोरोना पॉजिटिव हैं. कुछ समय बाद तबीयत और बिगड़ गई. सुरेश पत्नी को लेकर बांगड़ अस्पताल पहुंचे लेकिन वहां उन्हें बेड नहीं मिला. इस पर वे पत्नी को लेकर जोधपुर एम्स पहुंचे और वहां भर्ती करवाया.जहाँ उनका इलाज हुआ।
पत्नी के बीमार के दौरान वह खुद एक डॉक्टर थे और उस समय कोरोना अपने पीक पर था जिसकी वजह से उन्हें दुबारा अपनी ड्यूटी पर जाना और अपनी पत्नी को रिश्तेदारों के हवाले छोड़ कर वह निकल गए लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला उनकी पत्नी की तबियत बिगड़ गयी तो वह वापिस आ गए उस समय तक उनके लंग्स 95 फीसद तक खराब हो चुके थे और वे वे छोटे वेंटिलेटर पर थीं. डॉक्टर्स ने कह दिया कि बचना काफी मुश्किल है. इन हालात में भी सुरेश ने हार नहीं मानीं और वे पत्नी अंजू को लेकर अहमदाबाद चले गए. वहां सुरेश ने 1 जून को पत्नी को निजी अस्पताल में भर्ती करवाया.
बीमारी के दौरान अनिता का वजन 50 किलो से घटकर 30 किलो रह गया था. शरीर में खून की जबर्दस्त कमी हो गई थी. इसके चलते अंजू को ईसीएमओ मशीन पर लिया गया. डॉक्टर्स के मुताबिक इसके जरिये हार्ट और लंग्स बाहर से ऑपरेट होते हैं. यह प्रक्रिया काफी खर्चीली होती है. इसका औसतन एक दिन का खर्चा एक लाख रुपए से ज्यादा होता है. पत्नी की बीमारी के कारण सुरेश कर्ज के बोझ से दबते गए लेकिन उनकी जिद थी कि जैसे भी हो पत्नी को हर हाल में बचाना है. अंजू 87 दिन इस मशीन पर रही. लेकिन पति के इतने प्रयास के बाद वह ठीक होने लगी और अपनी ज़िन्दगी की जं-ग जीत गयी।
हालाँकि सुरेश ने पत्नी के इलाज के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया. इलाज के लिए रुपये जुटाने के लिये सुरेश ने अपनी एमबीबीएस की डिग्री गिरवी रखकर बैंक से 70 लाख रुपए का लोन लिया. उनके पास खुद की सेविंग केवल 10 लाख रुपए थी. इसके अलावा सुरेश ने अपने दोस्तों और साथी चिकित्सकों से 20 लाख रुपये लिए . वहीं 15 लाख रुपये में अपना एक प्लॉट बेचा. बाकी रिश्तेदारों से भी रकम उधार ली.