इस छोटी लड़की की रिक्वेस्ट पर बड़े-बड़े छोड़ देते हैं लोग बीड़ी, सिगरेट और तंबाकू, जानिए इसके पीछे की खास वजह।


ये कहानी एक ऐसी लड़की की है जिसने आपबीती के बाद बदल दिया जीने का तरीका। दरअसल तंबाकू से अपने दादाजी को खोने वाली दिशा ने अपने जीवन उद्देश्य ही लोगों को व्यसन से मुक्त करना बना लिया है, वह महज पांच साल की उम्र से लोगों को बीड़ी, सिगरेट और तंबाकू के सेवन को छोडऩे के लिए प्रेरित कर रही है, आश्चर्य की बात तो यह है कि इस लड़की एक रिक्वेस्ट पर अच्छे-अच्छे लोग बीड़ी, सिगरेट और तंबाकू छोड़ देते हैं।शायद आपको ये बात अजीब लगे लेकिन ये एक दम सच है आइये जानिए पूरी कहानी

 

ये घटना साल 2016 की है जब पांच साल की दिशा ने अपने दादाजी तो तंबाकू खाने की वजह से खो दिया। इसके बाद ही दिशा ने नो टबेको अभियान शुरू कर दिया। दिशा अब 17 साल की हो चुकी है। लोगों को घर-घर जाकर धूम्रपान से होने वाले दुष्प्रभाव बताना, उन्हें अपने मासूम अंदाज में सिगरेट, तंबाकू व अन्य तरीके से भी नशा न करने के लिए जागरूक करना ही दिशा के जीवन का उद्देश्य बन चुका है। इस नेक काम में दिशा के पिता अश्विनी और मां संगीता तिवारी के साथ-साथ पूरा परिवार और दोस्त भी पूरी मदद करते हैं।

इस उदेश्य में दिशा की मम्मी संगीता ने बताया कि दिशा अपने दादाजी के बहुत करीब थी इसलिए जब वो बीमार हुए तब डॉक्टर के मुंह से कई बार उन्हें तंबाकू और सिगरेट छोडऩे की बात सुना करती थी, लेकिन उन्होंने नहीं छोड़ी। एक दिन उनकी मृत्यु हो गई। उसके बाद दिशा ने धूम्रपान, तंबाकू और अन्य तरह के नशे से होने वाली बीमारियों के बारे में समझा। जिसके बाद से उनकी बेटी के मन में ये बात बेथ गयी की वह सबको इससे मुक्त कराएगी।

 

दिशा बहुत छोटी उम्र से ही तंबाकू और सिगरेट पीने वाले लोगों की रियल स्टोरीज लिखती हैं। उन्होंने 2014 से ऐसे लोगों की रियल स्टोरी लिखना शुरू कर दी। वे बताती हैं कि मेरी किताब में सबसे पहली स्टोरी मेरे दादाजी की है। इसे सालभर तक लिखने के बाद किताब का इनोग्रेशन 2015 में कराया था। दिशा ने कहा मेरा यह मिशन लाइफ टाइम चलेगा।और वह अब तक कई लोगो की ये आदत छुड़ा चुकी है जो बेहद गर्व की बात है।

परिजनों ने बताया कि शुरुआत में लगा कि कहीं कोई डांट न दें लेकिन लोगों ने दिशा की मासूमियत देखकर हाथों से सिगरेट फेंक दी। तब लगा कि दिशा लोगों को सही दिशा दिखा सकती हैं और हमने उसका साथ देना शुरू किया। फिर वो घर-घर जाकर लोगों को समझाने लगी और हस्ताक्षर अभियान भी चलाने लगी।उसने कई लोगो के घर जाकर उन्हें स्टोरीज बताई उनकी बातें सुनी उनके साथ बैठ कर उन्हें काफी समझाया जिसके बाद आज वह कुछ हद तक इस मिशन में कामयाब रही है।