बॉलीवुड की विवादित अभिनेत्री इन दिनों कई मुक़दमे में फंस चुकी है उनके खिलफो अलग-अलग राज्य में एफआईआर दर्ज की गई है। उनके ऊपर एक मुसीबत खत्म नहीं होती दूसरी शुरू हो जाती है। अक्सर कंगना के विवादित बयानों की वजह से वह मुसीबतो में फंस जाती है जिससे निकलना आसान बात नहीं है उनके लिए। अब कंगना के खिलाफ एक्टर मुकेश खन्ना की भी प्रतिक्रिया आई है। मुकेश खन्ना ने अपने वीडियो में वीर दास के साथ कंगना को भी जमकर लताड़ा है। मुकेश खन्ना ने तो कंगना से अवॉर्ड वापस लेने की बात भी कही है।
इस वीडियो में आप देख सकते है मुकेश खन्ना कहते हुए दिख रहे है कि ‘सर, आपने वीर दास का खुला विरोध किया, लेकिन उसके खिलाफ आपने कुछ नहीं बोला जिन्होंने कहा कि हमारे देश को आजादी भीख में मिली थी। ऐसे बद्तमीज इंसान सिर्फ तालियां बटोरते हैं। मैं मर्द से लड़ सकता हूं, लेकिन एक महिला से बिल्कुल नहीं लड़ सकता, ये मेरी फितरत में नहीं है। मैं आमतौर पर लड़ने में विश्वास नहीं रखता हूं। कई लोगों ने मुझे गलत समझना शुरू कर दिया। लोग कह रहे थे कि लगता है कि सर आप भी उसी पार्टी से जुड़े हुए हैं। मैं उन्हें बता देना चाहता हूं कि देश के खिलाफ जो भी होगा मैं उसका खिलाफ बोलूंगा।’
उसके बाद आगे कहते है कि ‘ये कहना कहां तक ठीक है कि स्वतंत्रता हमें भीख में मिली। उनका ये बयान चापलूसी से प्रेरित है, बहुत ही बचकाना है। पद्मा अवॉर्ड का साइड इफेक्ट है। अगर हमें 1947 में आजादी नहीं मिली थी तो क्या हम लोगों ने 60 साल गुलामी में जिये हैं? मैं तो अभी भी कहता हूं हम अब भी गुलामी में जी रहे हैं। अगर आप ये कहते हो कि आजादी 1947 में नहीं मिली तो आपने चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस जैसे क्रांतिकारियों का अपमान किया है। अंग्रेजों को डराने में क्रांतिकारियों की अहम भूमिका रही है। आपके पास ऐसा बोलने का अधिकार नहीं है। सुभाष चंद्र बोस से तो आरएसएस के नेता भी जाकर मिलते थे। मैं भी कहता हूं कि सिर्फ गांधी और नेहरू की वजह से आजादी नहीं मिली।’
उसके बाद मुकेश खन्ना अपने वीडियो को पोस्ट करते हुए लिखते हैं, देश का अपमान करने के मामले में ये मोहतरमा तो वीर दास से दस कदम आगे बढ़ गई हैं। खुद को झाँसी की रानी कहलाना पसंद करती हैं। लकड़ी की काठी, काठी का घोड़ा पर बैठ कर मणिकर्णिका फिल्म करती है और यही मणिकर्णिका उन असंख्य क्रांतिकारियों का अपमान कर रही है जिन्होंने अपनी मात्रभूमि को स्वतंत्र कराने में अपने प्राण तक न्योछावर कर दिए ! लानत है ऐसे शख़्स पर !! क्या ऐसे लोगों को पद्म अवार्ड मिलना चाहिए? मेरे हिसाब से ये पद्म अवार्ड का अपमान है !!!