229 साल से चली आ रही यहाँ अनोखी प्रथा, साड़ी पहनकर पुरुष करते हैं देवी की पूजा।


भारत जैसे आबादी वाले देश में तमाम धर्म के लोग रहते है यहाँ सबके रीति-रिवाज भी अलग-अलग होते हैं।अलग धर्म में अलग धार्मिक परम्पराओ का होना आम बात है। कई लोग ऐसे है जिनकी अजीबोगरीब परम्पराओ को मानना जरूरी हो जाता है। कई बार ऐसी ही परमपरायें आम लोगो को अचम्भित कर देती है। आज हम आपको एक ऐसी ही परम्परा के बारे में बताएंगे जिसे सुनने के बाद आपको शायद इसपर विश्वास न हो। लेकिन ये अनोखी परम्परा वहाँ के लोग अपनाते है।

जैसे की आप सभी जानते है भारतीय संस्कृति में हिंदी धर्म नहीं लोग अलग-अलग पूजा कर के अपने-अपने भगवान को मनाते है। ऐसी ही एक परंपरा पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के चंदन नगर में निभाई जाती है। ये परंपरा ऐसी है, इसके बारे में सुनकर आपको यकीन नहीं होगा। इस परम्परा के अनुसार महिलाएं नहीं बल्कि पुरुष साड़ी पहनकर देवी मां की पूजा करते हैं। सबसे ज्यादा हैरानी की बात ये है कि ये परंपरा साल दो साल से नहीं बल्कि पिछले 229 साल से निभाई जा रही है। इसे आधुनिक समय से ही लोग अपना रहे है।

दरअसल पश्चिम बंगाल के चंदन नगर में इस परंपरा के दौरान मां जगधात्री की पूजा की जाती हैऔर खूब धूम-धाम से इसे अपनाया जाता है।  इस दौरान घर की महिलाएं नहीं बल्कि पुरुष साड़ी पहनकर माता की पूजा करते हैं। हर साल की तरह इस बार भी चंदन नगर का नजारा काफी अद्भुत था। इस बार भी पूजा के दौरान पुरुषों ने साड़ी पहनकर मां जगधात्री की सिंदूर और पान से आराधना की। बांग्ला संस्कृति में सदियों से मां जगधात्री की पूजा के दौरान अलग ही नजारा देखने को मिलता है। इस दौरान पुरुष साड़ी पहनकर और सिर पर पल्लू डालकर मां जगधात्री की पूजा-अर्चना करते हैं। हर साल यह बहुत ही मोहक दृश्य होता है। पूजा के दौरान इस शानदार नजारे को देखने के लिए मंडप परिसर के भीतर  और बाहर सैकड़ों श्रद्धालु जमा रहते हैं।

वैसे तो बंगाल में कई परम्परा को माना जाता है लेकिन इस परम्परा को वहां कुछ ही जाती के लोग मानते है। लोगो के मुताबिक पश्चिम बंगाल की संस्कृति में ये परंपरा अंग्रेजों के शासन के समय से चली आ रही है। इस अनोखी पूजा के बारे में कहा जाता है कि 229 साल पहले जब अंग्रेजों का शासन था, तब शाम ढलने के बाद अंग्रेजों के डर से महिलाएं घर से नहीं निकलती थीं। उस दौरान घर के पुरुषों ने साड़ी पहनकर मां जगधात्री की पूजा की थी। इसके बाद तो ये एक परंपरा चल निकली और तभी से पुरुष साड़ी पहनकर देवी मां की पूजा-अर्चना करते हैं।