इन शहरों में है भारत के सबसे प्रसिद्ध भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग, लाइफ में एक बार जरूर करे इनके दर्शन।


हमारा देश अपने धार्मिक और संस्कृति के लिए जाना जाता है यहाँ आधुनिक काल के कई मंदिर आज भी स्थापित है जिसे देखने के लिए दूर से दूर से लोग आते है और अलग-अलग मान्यतायें इनके साथ जुडी हुई है। भारत देश में भगवान शिव के कई  ज्योतिर्लिंग देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थापित हैं. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इन कई  स्थानों पर भगवान शिव स्वयं विराजमान हैं.

मान्यता ये है की कि जो इंसान जीवन में एक बार इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन कर लेता है, उसके सात जन्मों के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. आइये आपको बताते है इनके बारे में। जानकारी के लिए आपको बता दूँ मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश में स्थित है. ये देश का दूसरा प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है. इस ज्योतिर्लिंग की कहानी इस प्रकार है- प्राचीन काल में इससे जुडी कथा ये है कि एक बार माता पार्वती और भगवान शिव भी दुविधा में फस गए थे. दोनों इस बात का निर्णय ही नहीं कर पा रहें थे कि पहले शादी गणेश की हो या कार्तिकेय की? फिर दोनों ने मिलकर एक प्रतियोगिता आयोजित की. प्रतियोगिता के अनुसार, गणेश और कार्तिकेय में से जो भी सबसे जल्दी संपूर्ण धरती का चक्कर लगाएगा उसकी शादी पहले की जाएगी.

इसके बाद कार्तिकेय अपने मोर पर निकल पड़े भ्रमण के लिए, वहीं गणेश ने माता पार्वती और शिव के इर्द-गिर्द एक चक्कर लगा लिया. पूछे जाने पर गणेश ने बोला कि उनके लिए उनके माता पिता ही संसार हैं. इसलिए उन्होंने उनका चक्कर लगा लिया. ये सुन माता पार्वती और भगवान शिव इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने गणेश का विवाह विश्वरूपम की दोनों बेटियां रिधि और सिद्धि से करवा दिया. ये देख कार्तिकेय को बहुत बुरा लगा और उन्होंने निर्णय किया कि वो कभी शादी नहीं करेंगे. इसके बाद वे श्री सैला पहाड़ की तरफ निकल पड़े और अपनी आगे की जिंदगी वहीं बिताई. जब माता पार्वती और शिव को इसके बारे में जानकारी मिली तो वो दोनों उनसे मिलने पहुंच गए. माता पार्वती उनसे पूर्णिमा के दिन मिली. वहीं भगवान शिव उनसे अमावस्या के दिन मिलने पहुंचे. इस तरह मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई.

‘सोमनाथ’ भारत का सबसे प्रसिद्ध और बड़ा ज्योतिर्लिंग है. गुजरात स्थित सोमनाथ भक्तों की श्रद्धा का केंद्र है. ये ज्योतिर्लिंग सिर्फ पवित्र ही नहीं, बल्कि बहुत मूल्यवान भी है. इस ज्योतिर्लिंग को 16 बार तोड़ा गया है और फिर बनाया गया है. सोमनाथ की कहानी काफी रोचक है. ऐसा कहा जाता है चंद्र ने राजा दक्ष की सभी 27 बेटियों के साथ विवाह किया था. लेकिन प्रेम वे सिर्फ रोहिणी से ही करते थे. इसके चलते दक्ष की बाकी बेटियां हमेशा मायूस और उदास रहती थीं.

एक दिन राजा दक्ष का सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने चंद्र को श्राप दिया कि वे अपनी सारी चमक खो देंगे. इस श्राप के असर से चंद्र ने अपनी रोशनी खो दी और पूरा संसार अंधकार में डूब गया. परिस्तिथियां बिगड़ते देख, सभी देवताओं ने दक्ष से आवहान किया कि वो चंद्र को माफ कर दें. काफी प्रयासों के बाद दक्ष ने कहा अगर चंद्र भगवान शिव की कठोर तपस्या करेंगे तो उनको अपना प्रकाश पुनः वापस हासिल हो जाएगा. इस के तुरंत बाद चंद्र ने घोर तपस्या की जिसके चलते भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उन्होंने चंद्र को उसका प्रकाश वापस लौटा दिया. यहीं से स्थापना हुई पहले ज्योतिर्लिंग सोमनाथ की.

महाकालेश्वर भारत का तीसरा प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है. ये ज्योतिर्लिंग उजैन के रुद्र सागर झील के पास बना हुआ है. ऐसी मान्यता है कि यहां कभी चंद्रसेन नाम के राजा का शासन हुआ करता था. वो भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था और वहां की प्रजा भी महादेव को पूजती थी. एक बार राजा रिपुदमन ने चंद्रसेन के महल पर हमला बोल दिया. उसके साथ मायावी राक्षस दूषण भी था जो कभी अदृश्य हो सकता था. राक्षस ने वहां की प्रजा को प्रताड़ित किया और पूरे महल को बर्बाद कर दिया. तब वहां की प्रजा ने भगवान शिव को याद किया और मदद की गुहार लगाई. वहां मौजूद लोगो का कहना है कि यहां महादेव ने स्वयं दर्शन दिए और प्रजा की रक्षा की. इसके बाद उज्जैन के लोगों की प्रार्थना सुनकर भोलेनाथ ने निर्णय किया कि वे उज्जैन नहीं छोड़ेंगे. इस प्रकार से उत्पन्न हुआ महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की.

कारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश में स्थित है. ये ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के पास शिवपुरी द्वीप पर बना है. ओंकारेश्वर का अर्थ होता है ओंकारेश्वर का भगवान. पुराणों के मुताबिक, यहां एक बार देवताओं और असुरों के बीच बड़ा युद्ध हुआ जिसमें असुरों ने देवताओं को परास्त कर दिया. इसके बाद सभी ने भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना की कि वो आएं और उनकी रक्षा करें. देवताओं की गुहार स्वीकार करते हुए भगवान शिव वहां आए और उन्होंने उन राक्षसों का संहार किया. इस प्रकार से वहां ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई.

देश का सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और चर्चित ज्योतिर्लिंग है रामेश्वरम. तमिलनाडु में स्थित इस ज्योतिर्लिंग को रामायण से जोड़कर देखा जाता है. भगवान राम जब माता सीता की खोज करते हुए रामेश्वरम पहुंचे. तब वहां थोड़ी देर विश्राम के लिए रुक गए. वहां जैसे ही वो जल पीने के लिए नदी के पास गए,उन्हें रोक दिया गया और एक आकाशवाणी हुई जिसमें कहा गया कि वो जल उनकी इजाजत के बिना नहीं पी सकते. इसके बाद भगवान राम ने मिट्टी से एक शिवलिंग का निर्माण किया और उसकी पूजा अर्चना की. उनकी पूजा से प्रसन्न हो कर भोलेनाथ ने अपने दर्शन दिए और राम ने उनसे विजय होने का आशीर्वाद मांगा जिससे वे अंहकारी रावण का वध कर सके. भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया और स्वयं वहां रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए.