PUBG की लत ने बनाया इस बच्चे को हैवान, अपने ही माँ-बाप को दी नींद कि गोलियां


एक गेम के लिए अपने ही परिजनों के साथ बुरा बर्ताव करना या फिर उन्हें जान से मा**र देना, ऐसी घटनायें आजकल आम हो चली है| लख़नऊ के एक किशोर ने अपनी मां की गोली मार कर ह!त्या कर दी| उसका कसूर केवल इतना था की उसने अपने बेटे को गेम खलेने से मना किया था| जिसके बाद गुस्साएं किशोर ने अपनी ही मां की गोली म!र कर ह**त्या कर दी| चौकाने वाली बात है कि किशोर ने 3 दिन तक किसी को इसके बारे में बताया भी नहीं|

जब ला!श की बदबू बढ़ती गई उस समय उसने अपने पिता को कॉल कर के सारी जानकारी दी| इसके साथ ही सबके मन में एक ही सवाल उठ रहा है| आखिर बच्चे ऐसा व्यवहार कर क्यों रहे है|

किशोर ने अपने ही माता-पिता को दी नींद की गोली

झांसी के सीपरी बाजार से एक मामला सामने आया जहां किशोर पबजी खेलने के लिए अपने ही माता-पिता को नींद की गोलियां देने लगा| दरअसल किशोर कि 10वीं की परीक्षा नज़दीक आ रही रही थी| परिजनों ने फ़ोन चलाने से माना किया तो किशोर रात के खाने में उन्हें नींद की गोलियां मिला कर देना लगा| जिसके बाद वह पूरी रात बिना किसी डर के देर रात गेम खेलने लगा| परिजनों को जब शक हुआ तब उन्होंने किशोर के कमरें की तलाशी ली| जहां से उन्हें नींद की गोलियां मिली | उसे इसका भी एहसास नहीं हुआ की इससे उसेक माता-पिता को शारीरिक समस्या भी हो सकती है|

कोरोना काल में बढ़ी मोबाइल की लत

झांसी के मनोचिकित्सक डॉ. अर्जित गौरव बताते है, बच्चो में हिंसक व्यवहार और गलत कदम उठाने जैसे कई मामले सामने आ रहे है| कोरोना काल से पहले महीनो में 4-5 केस ऐसे आया करते थे लेकिन अब इनकी संख्या काफी बढ़ गई है| अब महीने में 8-10 केस देखने को मिलते है| डॉ. शिकफा जाफ़रीन कहती है, बच्चो में हिं!सक व्यवहार अब अधिक देखने को मिल रहा है| कोई परिजनों को आत्म!हत्या करने की धमकी देता है तो कोई उन्हीं के साथ मा**रपीट करने लगता है|

यह ओसीडी की बीमारी

डॉ. शिकफा जाफ़रीन की यह ऑब्सेसिव कम्पल्सिवे डिसॉर्डर की ही बीमारी है| इसमें जिस मरीज़ को जिस चीज़ से जुड़ाव महसूस हो जाता है वह खुद को उससे अलग नहीं कर पाता| यदि ऐसे रोगियों को मोबाइल गेम पसदं आ जाता है उस समय परिजनों की मौजदी भी उनके लिए मायने नहीं रखती| ऐसे मरीज़ किसी से नहीं मिलते और आगे जाकर अन्य मानसिक रोग और डिप्रेशन का शिकार हों जाते है|

माता-पिता इन बातों का रखे ध्यान

नज़र रखे की बच्चा मोबाइल पर गेम खेल रहा है या पढाई कर रहा है,यदि बच्चा गेम का लती हो गया है तो उसका ध्यान अन्य एक्टिविटी की तरफ लेकर जाए,बच्चो को मारने के बजाए उसे समझाए की यह लत बीमारी बन चुकी है, बच्चा बहुत ज्यादा लती हो जाए तो उसका इलाज जल्द शुरू करवाए|