यूक्रेन और रुसी हमले में कई अन्य देश भी बीच में फंस चुके है। दरअसल यूक्रेन फंसे भारतीय नागरिक वहां का हालात बताने को है मजबूर। हाल ही में यूक्रेन की राजधानी कीव में फंसी राजस्थान के जोधपुर शहर की आयूशी विश्नोई ने फोन पर ‘पत्रिका’ को वहां के हालात की जानकारी दी। यूक्रेन में चौतरफा संकट है। वापसी मुश्किल लग रही है। अनिश्चितता के हालात में जरूरी सामान का स्टॉक करने की होड़ मची है। इस कारण कुछ देर में ही लगभग सभी स्टोर खाली हो गए।
‘मैं आज सुबह साढ़े पांच बजे भारत की फ्लाइट पकडऩे के लिए कीव के नेशनल मेडिकल कॉलेज के होस्टल के ऑफिस में चाबियां आदि जमा कर मेरे ही शहर जोधपुर की भावना विश्नोई के साथ बाहर आई। हमने तीन ऐप पर केब को बुक करने की कोशिश की, लेकिन नहीं कर सके। बड़ी मुश्किल से करीब दो घंटे बाद केब बुक हुई। इसी बीच, हमारे होस्टल के गार्ड ने आकर बताया कि कीव पर रूस ने हमला कर दिया है। एयरपोर्ट बंद कर दिए हैं। सुबह करीब साढ़े आठ बजे हम होस्टल लौट आए।’ यूक्रेन में फंसी राजस्थान के जोधपुर शहर की आयूशी विश्नोई ने फोन पर ‘पत्रिका’ को वहां के हालात का ब्योरा दिया। इसी तरह वहां पढ़ने गए राजस्थान के दूसरे शहरों के बच्चों ने भी आपबीती ‘पत्रिका’ से शेयर की।
आयूशी विश्नोई के ही शब्दों में, जरूरी सामान खरीदने नजदीक के बाजार गए तो वहां अफरा-तफरी का माहौल दिखा। दहशत के माहौल में हर कोई एटीएम से कैश निकालने के लिए लाइन में खड़ा था तो कोई स्टोर में खाने-पीने की वस्तुएं खरीद रहा था। हम दोनों ने चावल, सब्जियां आदि सामान खरीदा।वह वहां एक पल भी चैन की सांस नहीं ले पा रहे है उनके मुताबिक कब उन्हें कुछ हो जाए वह कुछ कह नहीं सकते।
अनिश्चितता के हालात में जरूरी सामान का स्टॉक करने की होड़ के कारण कुछ देर में ही लगभग सभी स्टोर खाली हो चुके थे। परिवहन पूरी तरह से बंद होने से स्टोर में सामान जल्द मिलने की उम्मीद भी कम दिखाई दे रही है। हमारे पास अगले कुछ दिन के लिए खाने-पीने का सामान है, लेकिन बड़ी दिक्कत पीने के पानी को लेकर है। पानी हमें बाहर से लाना पड़ता है।
हमारे पास दो-तीन दिन का ही पानी है। हम यहां विदेशी होने के कारण स्थानीय लोगों पर ज्यादा भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में दूतावास ही एकमात्र सहारा है, जहां से हमें नियमित तौर पर एडवाइजरी भेजी जा रही है। हमें बताया गया है कि कीव से हमें सुरक्षित निकालने के लिए सडक़ मार्ग से यूक्रेन के पश्चिमी इलाके में ले जाने की कोशिश चल रही है।दूतावास ने यूक्रेन छोडऩे की सलाह तो दी, लेकिन जरूरी औपचारिकताएं पूरी नहीं कीं। हमारे कॉलेज ने यहां से जाने पर एबसेंट लगाने की चेतावनी दी और बुधवार तक ऑफ लाइन क्लासेज चलाईं।