ज़िन्दगी में अक्सर लोग खूब पढ़कर कर मेहनत कर के IAS की पोस्ट पार लगते है माना जाता है ये सब कठिन परीक्षा होती है जिसके बाद इंसान एक मुकाम तक पहुँचता है IAS अपने में ही एक बड़ा शब्द है IAS बनने के बाद इंसान के सब कुछ बदल जाता है। अगर आप किसी आईएएस अधिकारी के बारे में सोचते है तो आपके मन में सबसे पहले लाल बत्ती वाली गाडी बड़ा रुतबा ये सब ही आपकी आँखों के आगे आएगा क्या आपने कभी सोचा है एक IAS अधिकारी जमीन पर बैठकर किसी से बात करेगा या जमीन पर बिना सोचे समझे बैठ कर किसी भी आम इंसान से बात करेगा नहीं ऐसा नहीं होता लेकिन अगर हम आपसे कहे की ऐसा भी होता है और ये सच है आइये जानिए।
हाल ही में एक IAS अधिकारी की तस्वीर वायरल हो रही है जिसमे उन्हें जमीन पर बैठे एक बूढ़े व्यक्ति से बातें करते हुए दिख रहे है। बता दें ये तस्वीर कुछ दिन से सोशल मीडिया पार खूब वायरल हो रही है जिस किसी ने भी इस तस्वीर को देखा वह हैरान रह गया और इस IAS अधिकारी की सादगी के दीवाने होगये है। बता दें ये तस्वीर इस शख्स की सादगी और संस्कार की मिसाल पेश करती है.
"तज़ुर्बा है मेरा मिट्टी की पकड़ मजबुत होती है,
संगमरमर पर तो हमने पाँव फिसलते देखे हैं।"#माझी_गावाकडची_माणसं #बप्पा #मेरा_गांव #जन्मभूमी pic.twitter.com/zuOxLEICSO— Ramesh Gholap IAS (@RmeshSpeaks) October 18, 2021
सोशल मीडिया पर शेयर हो रही इस तस्वीर को खुद IAS रमेश घोलप ने अपने ट्विटर पर शेयर किया है। इस तस्वीर को शेयर करने के बाद लोग उनकी सादगी की मिसाल पेश कर रहे है उनके मुताबिक हर एक IAS में ऐसे संस्कार होने चाहिए तो दुसरो को छोटा न समझे व् उनका सम्मान करे। इन तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि वो अपनी इनोवा कार से बाहर आकर एक बुजुर्ग के साथ ज़मीन पर बैठकर मज़े से बातें कर रहे हैं. जबकि उनके साथ जो बॉडीगार्ड थे वो कार के अंदर ही बैठे हैं और गाड़ी से ही दोनों को बातें करते हुए देख रहे हैं.
जैसे ही ये तस्वीर सोशल मीडिया पार शेयर हुई फेन्स इस तस्वीर के दीवाने हो गए और कह रहे है की इस तस्वीर ने तो हमारा दिल जीत लिया , कैसे कोई इंसान इतने बड़े पद पार होने के बावजूद अपने संस्कार नहीं भूलता व् दुसरो को सम्मान देता है ये सब देख कर कई लोग इमोशनल भी हुए है और इस IAS की सादगी को सलाम कर रहे है।फोटो को शेयर करते हुए आईएएस अधिकारी रमेश घोलप ने कैप्शन में लिखा है- “तज़ुर्बा है मेरा मिट्टी की पकड़ मजबृत होती है, संगमरमर पर तो हमने पाँव फिसलते देखे हैं.”