श्राद्ध भोज करने की बजाए एक बेटे ने किया अपने पिता का सपना आखिरी सपना पूरा, बनवाया गांव में पुल


बिहार के मधुबनी जिले में एक शख्स ने अपने पिता की मौत के बाद श्राद्ध भोज की बजाय गांव में पुल बनवा दिया। पुल को बनवाने में करीब पांच लाख रुपये खर्च हुए। मामला कलुआही प्रखंड के नरार पंचायत के वार्ड नंबर 2 का है दरअसल, गांव के लोग पुल न होने की वजह से परेशान थे। गांव के रहने वाले महादेव झा नामक बुजुर्ग ने पुल बनवाने के लिए काफी प्रयास किए थे।

पांच लाख में बना पुल

बारिश के दिनों में लोगों का गांव से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता था। लोगों की परेशानी को देखकर बुजुर्ग महादेव ने पुल बनवाने का सपना संजोया था इस बीच उनका निधन हो गया। बेटे ने उनकी इच्छा पूरी करते हुए अब पुल बनवा दिया है बताया जाता है कि महादेव झा ने ही सुधीर को ऐसा करने के लिए कहा था। उन्होंने समाज को एक नयी राह दिखाते हुए अपनी पत्नी और बेटे सुधीर झा से कहा कि अगर पुल निर्माण से पहले उनका निधन हो जाये तो श्राद्ध भोज और कर्मकांड पर लाखों रुपये खर्च करने की बजाय गांव की सड़क पर पुल का निर्माण करवा देना।

महादेव झा का साल 2020 में हुआ था निधन

बहरहाल सुधीर झा ने अपने दिवंगत पिता के सपने को साकार करते हुए गांव की सड़क पर 5 लाख की लागत से पुल का निर्माण करवाया है। दिवंगत महादेव झा की पत्नी महेश्वरी देवी का कहना है कि पेशे से शिक्षक रहे उनके पति महादेव झा का साल 2020 में निधन हो गया था। उनकी इच्छानुसार परिवार के लोगों ने श्राद्ध भोज पर खर्च करने की बजाय गांव की सड़क पर पुल का निर्माण करवाया है।

तैरकर खेत पहुंचने की समस्या से ग्रामीणों को निजात मिली

दिवंगत महादेव झा के छोटे भाई महावीर झा का कहना है कि गांव की सड़क पर पुल बन जाने से यहां से गुजरने वाले राहगीरों को काफी राहत मिली है, खासकर किसानों को अब कमर तक पानी में तैरकर अपने खेत पहुंचने की समस्या से निजात मिल गयी है। दिवंगत महादेव झा के छोटे भाई महावीर झा का कहना है कि गांव की सड़क पर पुल बन जाने से यहां से गुजरने वाले राहगीरों को काफी राहत मिली है, खासकर किसानों को अब कमर तक पानी में तैरकर अपने खेत पहुंचने की समस्या से निजात मिल गई है।

सरकार के भरोसे रहना ठीक नहीं 

दिवंगत महादेव झा और उनके परिजनों ने इस बात को सच कर दिखाया है कि सरकारी सिस्टम को कोसते रहने की बजाय निजी प्रयासों से भी समाज की दशा और दिशा बदली जा सकती है। दिवंगत महादेव झा और उनके परिजनों ने कहा कि हर काम सरकार के भरोसे छोड़ने की आदत ही हमारे पिछड़ेपन की निशानी है। सरकारी सिस्टम को कोसते रहने की बजाय हमें निजी प्रयासों से भी गांव समाज को बेहतर बनाने की पहल करनी चाहिए।