बिना जंग में जाए दूसरे देश को बर्बाद कर देती है ये आर्मी, अब हर देश की बनी पहली चॉइस।


रूस और यूक्रेन की जंग ने एक नया मोड़ ले लिया है यूक्रेन में इस समय हमले की वजह से बेहद अजीब माहौल बना हुआ है। लोगो में अफरा तफरी का माहौल बन चूका है।  जिससे उनके प्रशासनिक और अर्थ तंत्र पर जबरदस्त च**ट लग रही है. तो क्या साइबर आर्मी अब मिलिट्री की तीनों विंग से ज्यादा शक्तिशाली हो गई है. सीनियर IPS और साइबर सिक्योरिटी मामले के एक्सपर्ट बृजेश सिंह ने इस बारे में बड़ी बात कही. उन्होंने कहा कि साइबर ह*लों के जरिए हाई वेल्यू डिजिटल टारगेट्स तक पहुंच बनाई जाती है. इनके जरिए बैक डोर अटैक, किल स्विच और दुश्मन के प्लान को आसानी से ध्वस्त किया जा सकता है. ऐसे साइबर हमले जंग के मैदान में जाने वाली सेना को युद्ध में पहले ही बढ़त दिला देते हैं और उन्हें फायदे वाली स्थिति प्रदान करते हैं.

उन्होंने कहा कि साइबर ह!लों की बड़ी खूबी उनका अचूक निशाना होता है. साइबर अट!क का ऑपरेशन शुरू करने के लिए बेहद कम समय की जरूरत होती है. ऐसे ह*ले सैन्य और गैर-सैन्य बुनियादी ढांचे की हैकिंग में मददगार साबित होते हैं और गुप्त जानकारी एकत्र करने की क्षमता प्रदान करते हैं. एक बार सफल होने के बाद साइबर हमले बहुत सटीक परिणाम उत्पन्न करते हैं. रूस ने अपनी जंग शुरू कर दी है और धीरे-धीरे यूक्रेन के कई देशो में अपना कब्जे की तैयारी शुरू कर दी है।

दरअसल इस पर बृजेश सिंह कहते हैं कि कई बार साइबर ह*लों के जरिए मौजूदा शासन को अस्थिर करने और मित्रवत राजनेताओं या सामाजिक हस्तियों को बढ़ावा देने का भी प्रयास किया जाता है. वहीं कई बार साइबर अ**क का इस्तेमाल जातीय, सांप्रदायिक, राजनीतिक और धार्मिक आधार पर स्थानीय आबादी को विभाजित करने के लिए भी किया जाता है. कई बार सरकार को बदनाम करने के लिए इस तरह के साइबर ह*ले किए जाते हैं.

उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्त में युद्ध के तरीके बदल गए हैं. दुनिया के ज्यादातर देश हथियारों से लड़ने के बजाय पहले साइबर युद्ध के जरिए अपने दुश्मन को बर्बाद कर देना चाहते हैं. इस तरह के युद्ध में अपना कोई भी नुकसान नहीं होता और दुश्मन देश की सीमा में घुसे बिना उसकी रीढ़ तोड़ दी जाती है. इस तरह के साइबर वॉर में बहुत कम प्रयास और लागत लगती है जबकि दुश्मन का नुकसान इससे कहीं ज्यादा और बड़ा होता है.