बेहद दुखद खबर कल पूरे देश को सुनने को मिली,भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का हेलीकॉप्टर बुधवार को तमिलनाडु के नीलगिरी की पहाड़ियों के जंगलों में दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसमे जनरल रावत और उनके परिवार के कुछ सदस्यों के अलावा सेना के लोग सवार थे।इस हादसे में 13 लोगो की जान चली गयी जबकि एक की कंडशन सीरियस बताई जा रही है। जब देश में कोरोना महामारी की शुरुआत ही हुई थी, तभी जनरल रावत उन चुनिंदा लोगों में शामिल हुए, जिन्होंने देशवासियों की मदद के लिए अपनी सैलरी से योगदान देने का फैसला किया था।जी हाँ आइये आपको बताते है इनसे जुडी कुछ बातें।
कोरोना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया कोरोना की जब पहली लहर आयी थी तो इस जानलेवा वायरस ने कई लोगो की दुनिया उथल-पुथल कर रख दी थी। उस समय कोविड-19 रिलीफ के लिए पीएम केयर्स फंड बनाया गया था। जो भी चाहे देश की जनता को राहत देने के लिए इसमें अपनी स्वेच्छा से दान दे सकता था। देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत उन पहले लोगों में से थे, जिन्होंने सबसे शुरुआत में इस फंड के लिए अपनी ओर से योगदान देना शुरू कर दिया था। जनरल रावत हर महीने अपनी सैलरी से पीएम केयर्स फंड में 50,000 रुपए बतौर दान देने लगे। पीएम मोदी ने इस फंड की शुरुआत की थी ताकि इससे कई लोगो को मिल सके।
पिछले साल जब कोरोना की लहर ने सब उथल पुथल कर दिया था तो सेना के अधिकारियो ने बताया था किजनरल रावत ने 2020 से ही यह योगदान देना शुरू कर दिया है और उनका ये योगदान पूरे एक साल तक चला सेना के अधिकारियों ने तब कहा था, ‘मासिक योगदान उनकी कुल सैलरी का 20 प्रतिशत है। कुल मिलाकर वह पीएम-केयर्स फंड में 6 लाख रुपए दान करेंगे।’ यानी उस वक्त जनरल रावत की कुल सैलरी 2.5 लाख रुपए थी और उनमें से एक बड़ा हिस्सा, वे कोविड के खिलाफ युद्ध के लिए देते रहे। इससे पहले मार्च, 2020 में ही उन्होंने रक्षा मंत्रालय और तीनों सेनाओं के सामूहिक फैसले के तहत अपनी एक दिन की सैलरी प्राइम मिनिस्टर्स सिटिजन असिस्टेंस एंड रिलीफ इन इमरजेंसी सिचुएशन फंड-पीएम केयर्स में दान किया था।
आपको बता दे कि इस महीने के आखिरी दिन में उनके सीडीएस पद पर पूरे दो साल होने वाले थे क्यूंकि 31 दिसंबर, 2019 से देश के तीनों सेनाओं के चीफ के पद पर नियुक्त किया गया था। और इतना ही नहीं जानकारी के मुताबिक इससे पहले सरकार ने सेना नियमों में बदलाव करते हुए इस पद के लिए सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 साल कर दिया था, जिससे जनरल रावत की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया था।लेकिन किसी को क्या पता था इन सबसे पहले ये सब होजाएगा।
क्या आप जानते है उनका इतने बड़े पद पर नियुक्त होना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी इस पद पर पहुँचने के लिए उनके पिता का भी योगदान रहा। सीडीएस का पद मिलिट्री से संबंधित मामलों में सरकार के लिए वन-प्वाइंट एडवाइजर के रूप में है, जिसका मुख्य लक्ष्य तीनों सेनाओं – थल सेना, नौसेना और वायु सेना को एकीकृत करना है। सीडीएस को स्थाई चीफ ऑफ स्टाफ कमिटी (सीओएससी) भी बनाया गया है। जनरल रावत ने 17 दिसंबर, 2016 को तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग से 27वें चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ का पदभार लिया था। वे नेशनल डिफेंस अकैडमी (एनडीए) और इंडियन मिलिट्री अकैडमी (आएमए) के पूर्व छात्र रहे हैं और 1978 के दिसंबर में 11 गोरखा राइफल्स के उसी पांचवीं बटालियम में शामिल हुए थे, और उनके पिता भी इस पद पर अपना योगदान दे चुके है।