देहरादून स्थित भारतीय मिलिट्री एकेडमी में जब पासिंग आउट परेड हुई उस समय बस इसका समापन केवल परेड के साथ ही नहीं हुआ| बल्कि कई प्रेरणादायक कहांनियों के साथ हुआ| आज ऐसी ही युवा सैन्य अधिकारी बने दानिश लैंगर की कहानी बताने जा रहे है, जिन्होंने अपने बिखरते सपने को जोड़ा और वो कर दिखाया जो दूसरों के लिए करना काफी मुश्किल होगा|
दानिश लैंगर की कहानी
बाबा दानिश लैंगर को साल 2017 में लकवा मार गया था| गुइलेन बैरे सिंड्रोम ( GBS) नामक वायरल या बैक्टरिया संक्रमण के कारण उन्हें वह सपना बिखरता दिखा, जिसे वह बचपन से देखते आ रहे थे| सेना में जाने का, देश की सेवा करने का और वर्दी पहनने का लेकिन लकवे ने उनके शरीर को ऐसे जकड़ा की उन्हें अब कुछ समझ नहीं आ रहा था| ऐसे में उनकी इच्छाशक्ति उनके लिए वरदान साबित हुई और उन्होंने लकवे को मात दे दी| IMA से स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद लैंगर का हूटिंग करते हुए टोपी को उछालना दिखा रहा था की वह खुद के शुक्रगुज़ार है की उन्होंने उस समय हार नहीं मानी|
ऐसे हराया लकवे को
दानिश लैंगर हार मानने वालों में से नहीं थे| सेना में शामिल होने के सपने को उन्होंने टुटने नहीं दिया और अपनी मेहनत से लकवे को मात दे दी| उनके पिता मृदा सरंक्षण अधिकारी राजेश लैंगर ने पैसिंग आउट परेड के दौरान बताया कि उनके बेटे ने लकवे के बाद बड़े स्तर पर फिजियोथेरपी करानी शुरू की| सेना में भर्ती होने के लिए कठिन शीरीरिक परिश्रम शुरू किया और केवल 6 महीने में खुद को बिल्कुल फिट कर लिया| उसके सामने रुकावटें भी आई लेकिन में खुश हूं की में एक सेना अधिकारी का पिता हूं| दानिश लैंगर की बैचमैट्स भी कहते है कि दानिश की जगह कोई और होता तो शयद अभी तक हार मान चूका होता लेकिन दानिश खुद के लक्ष्य को लेकर स्पष्ट था कि वह एक दिन भारतीय सेना की वर्दी पहनेगा|
पासिंग आउट परेड में 377 कैडट्स ने भाग लिया
आईएमए के पासिंग आउट परेड में 377 कैडट्स ने भाग लिया| इस मौके पर उनके माता-पिता भी मौजूद रहे| पासिंग आउट परेड के बाद भारतीय थल सेना को 288 युवा सैन्य अधिकारी मिले है| इसमें 8 मित्र देशों के 89 कैडट्स ने भी पासिंग आउट परेड के ज़रिए अपनी सेना में जाने का सपना पूरा किया| इसी में एक कहानी कैडट सईश राव की भी जिन्होंने आईआईटी में जाने के बदले एनडीए को चुना और अपने घर की सेना में जाने की विरासत को आगे बढ़ाया| दरअसल, सईश राव के माता-पिता दोनों ही सेना में है| जिसके चलते उन्होंने सेना में जाने का फैसला लिया|