आज हम आपको एक ऐसी लड़की के बारे में बताने जा रहे है जिसने बचपन में ही अपनी आँखे खो दी थी पर उनका हौंसला नहीं टुटा और उन्होंने कड़ी मेहनत की और एक सफल आईएएस बनी | हम जिस लड़की की बात कर रहे है उनका नाम तपस्विनी दास है | बचपन में डॉक्टर की गलती की वजह से उनकी आँखे चली गई थी पर उन्होंने कभी भी अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी |
ऑडियो रिकॉर्डिंग के ज़रिये करती थी पढ़ाई
तपस्विनी ने ब्रेल लिपि सीखी और ऑडियो रिकॉर्डिंग के ज़रिये ही पढ़ाई की और वो अच्छे अंको के साथ हर क्लास को पास करती गई | उनके माता-पिता भी उन्हें बेटी नहीं बेटा मानते है क्यूंकि वो नेत्रहीन होने के बावजूद अपने माता का सहारा बनी | तपस्विनी के पिता अरुण कुमार दस ओडिशा के एक कोऑपरेटिव हाउसिंग कॉर्पोरेशन में रिटायर्ड डिप्टी मैनेजर है और उनकी माँ एक टीचर है |
डॉक्टर की लापरवाही की वजह से हो गई थी नेत्रहीन
साल 2003 में जब तपस्विनी दूसरी कक्षा में पढ़ा करती थी तब उनके साथ एक हादसा हो गया था तब ओडिशा के एक बड़े अस्पताल में उनका इलाज़ करवाया जा रहा था तभी एक डॉक्टर की लापरवाही की वजह से उनकी आँखों की रोशनी चली गई | इस हादसे के बाद उनके माता-पिता बहुत चिंतित रहते थे पर तपस्विनी ने ठान लिया था की वो अपने माता-पिता पर बोझ नहीं बनेगी और एक बड़ा मकाम हासिल करेंगी |
आज बन चुकी है एक सफल IAS
तपस्विनी जब 9 वीं कक्षा में पढ़ती थी तभी उन्होंने मन बना लिया था की वो सिविल सर्विस की परीक्षा ज़रूर देंगी | स्कूल की शिक्षा पास करने के बाद उन्होंने पोलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन की और उसी दौरान सिविल सर्विसेज की परीक्षा दी और पास भी कर ली और एक सफल आईएएस बनी , आज वो देश भर में सबके लिए एक बहुत बड़ी मिसाल बन चुकी है |